Sunday, January 29, 2012

Nothing can be created in vacuum - शून्य में क्या हो सकता है


मेघ राजनीति


राजनीति के लिए पैसा, गुंडा शक्ति, सूचनाओं का भंडार, आयोजना और नेतृत्व आवश्यक चीज़ें हैं. मेरे समुदाय के पास ये सब नहीं है. अब लोकतंत्र में हमारे पास क्या बचता है? केवल वोट की ताकत. वोट की ताकत का एक ही अर्थ है- एकता- किसी भी कीमत पर. लेकिन एकता से निपट अकेले एक समुदाय को सत्ता नहीं मिलती, हाँ, पहचान मिल सकती है. सत्ता समुदायों की एकता से मिलती है. विचार करें.

Megh Politics

Sunday, January 8, 2012

Change the side - पाला बदलो, राजनीति का तकाज़ा है


मैं एक साधारण मेघ भगत हूँ. मेरा समुदाय स्वतंत्रता के बाद से ही एक राजनीतिक दल को वोट देता आया है. लेकिन महसूस करता है कि उस दल ने आज तक किसी मेघ भगत को चुनाव लड़ने के लिए चुनावी टिकट नहीं दिया. न उसने किसी मेघ भगत को प्रोत्साहित किया कि वह उस दल की ओर से अपने समुदाय में संगठनात्मक कार्य करे.

अब समुदाय के रूप में सोचना होगा कि जिस राजनीतिक दल यानि कांग्रेस के साथ हम पूरी प्रतिबद्धता के साथ जुड़े रहे हैं, यहाँ तक कि इमरजेंसी के दौरान और बाद में भी, उसने इस समुदाय को राजनीतिक पहचान देने के बारे में सोचा तक नहीं. यह समय अब मेघ भगत समुदाय के सोचने का है कि अब कांग्रेस के साथ वफ़ादारी निभाना में समझदारी है या नहीं. कहते हैं कि प्रेम उसी से करना चाहिए जो प्रेम की क़द्र कर सके. अब इस अखाड़े के कई लोगों की राय है कि आगामी चुनावों में उक्त राजनीतिक दल के किसी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहिए.

कोशिश करें कि किसी भी ऐसे उम्मीदवार को वोट दें जिसे कोई अन्य राजनीतिक दल मान्यता दे रहा हो या जिसे हमारे भगत महासभा जैसे सामाजिक संगठन बेहतर उम्मीदवार समझते हों. इसे अपनी राजनीतिक जागरूकता के रूप में देखें और एकता का प्रदर्शन करें. यही जादू है जो वोट की राजनीति में चलता है.

Megh Politics

Saturday, January 7, 2012

Why 'Bhargava Camp'? Why not' 'Megh Nagar' - ‘भार्गव कैंप’ क्यों? ‘मेघ नगर’ क्यों नहीं?


संभव है कि यह संयोग मात्र हो कि स्यालकोट से आए मेघ भगतों को जालंधर (एक शूद्र ऋषि के नाम पर बने शहर) में बसाया गया. फिर जहाँ उनके लिए कच्ची बैरकें बनीं उस स्थान का नाम भार्गव कैंप, गाँधी कैंप आदि रखा गया. अब काफी वर्ष बीत चुके हैं और ये कैंप पूरी तरह से मेघों के साथ जुड़ गए हैं. भार्गव कैंप में कभी एक स्कूल खुला था जिसे आर्य समाज के नाम से खोला गया था. ज़ाहिर था कि इस स्कूल का नाम मेघ समुदाय के नाम से मेघ हाई स्कूल रखने में किसी की कोई रुचि नहीं थी.

देश को आज़ाद हुए 64 वर्ष से ऊपर हो चुके हैं. पंजाब में इतनी जनसंख्या होने के बावजूद मेघ भगतों के नाम से कोई स्थान नहीं है. ले दे के भगत बुड्डा मल के नाम से एक ग्राऊँड थी जहाँ शनि मंदिर बना दिया गया है.

क्या अब यह संभव है कि सभी वार्ड्स में हस्ताक्षर मुहिम चला कर भार्गव कैंप का नाम बदल कर मेघ नगर कराने के प्रयास किए जाएँ? इससे समुदाय को ज़बरदस्त पहचान मिलती है.

Friday, January 6, 2012

Say no to crutches - बैसाखियों को कहें न


मैं एक राजनीतिक कार्यकर्ता को जानता हूँ जिसने कांग्रेसियों के साथ मिल कर कार्य किया और उनके कार्यक्रमों को सफल बनाया. उसकी खूब तारीफ़ की जाती रही. एक समय आया जब उसके साथियों ने उसे एम.एल.ए. की सीट के लिए चुनाव लड़ने का सुझाव दिया. उसने टिकट के लिए आवेदन कर दिया. कार्यकर्ता के तौर पर उसकी पीठ थपथपाने वाले हाथ यानि कांग्रेसी बॉस आज उससे नाराज़ हैं.

इसे ऐसे समझ लें कि आप अपना प्रयोग जब तक चाहे होने दे सकते हैं. यह आपकी मर्ज़ी पर है. राजनीतिक पार्टियाँ बहुत मज़बूत होती हैं लेकिन उनकी दी हुई बैसाखियाँ बहुत कमज़ोर होती हैं. उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता. यदि आप आगे की पंक्ति में आना चाहते हैं तो समर्थकों की शक्ति का साथ होना चाहिए. अपने समर्थक बनाने के लिए कार्य और श्रम करें. यह बेहतर रास्ता है.

यदि आपका समुदाय कमज़ोर है तो उसे कोसने से कुछ नहीं होगा. आपको इस उद्देश्य से श्रम करना होगा कि समुदाय अपनी शक्ति को पहचाने.

जय मेघ !

Meghs roar in Rajasthan - राजस्थान से मेघ गरजे



इस बार जयपुर से दर्द की आवाज़ नामक समाचार-पत्र का जो अंक प्राप्त हुआ है उसके मुखपृष्ठ पर छपे चेहरे की मुद्रा मन को भा गई. हाँ!! हमें ऐसे चेहरे चाहिएँ जिन पर एक ललकार हो. श्री गोपाल डेनवाल ने हुंकार भरी है. वोट हमारा - राज तुम्हारा नहीं चलेगा.

मेघ महाकुंभ का आयोजन सफल रहा है. इसके लिए गोपाल जी को और आर. पी. सिंह जी को ढेर सारी बधाइयाँ. श्री फाँसल को मेघ सेना के फ्लैगमार्च की भव्यता को जयपुर में उतारने के लिए ढेरों बधाइयाँ.
 

श्री आर.पी. सिंह, आईपीएस, को पदोन्नत करके अतिरिक्त डॉयरेक्टर जनरल पोलिस बनाया गया है जिसके लिए उनको हार्दिक बधाइयाँ. उनकी साहित्यिक उपलब्धियों पर कई जनरल वालों को रश्क होगा.

और अंत में इस समाचार के लिए दर्द की आवाज़ को कोटिशः धन्यवाद.
 

Megh Politics

Thursday, January 5, 2012

Congress ignores Megh Bhagat community


पंजाब में चुनाव आ गए हैं. पार्टियों ने अपने चुनावी उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. कांग्रेस ने पुनः मेघ भगत समुदाय की उपेक्षा की है.

समय-समय पर जब भी चुनावी क्षेत्रों का पुनर्गठन किया जाता है तब यह विशेष ध्यान रखा जाता है कि अनुसूचित जातियों और जनजातियों के वोटों को और बाँट दिया जाए. जनगणना के समय भी सबसे अधिक उपेक्षित क्षेत्र इन्हीं जातियों के होते हैं जहाँ से कभी भी सही जनगणना के आँकड़े सामने नहीं आते. मेघ भगत बिरादरी भी इसी का शिकार होती आई है. एक तो इनमें बँटे रहने की प्रवृत्ति है दूसरे शिक्षा और जागरूकता के मामले में बहुत पिछड़ापन है. यही कारण है कि राजनीतिक पार्टियाँ जानती हैं कि इस समुदाय के जागने में अभी लंबा समय है.

चुनाव से पहले सरकारी नौकरियों में आरक्षण की घोषणाएँ कर दी गई हैं ताकि ऐसी दलित जातियों का ध्यान छोटी-मोटी बातों की ओर खिंचा रहे और ये सत्ता में भागीदारी की बात न सोच पाएँ. याद रहे कि पहले भी ऐसी घोषणाएँ हुईं और कुल पदों का केवल 30 प्रतिशत ही भरा गया. बैकलॉग चलाए रखने वालों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है. मेघों के लिए आवश्यक है कि वे अन्य समुदायों जैसे मेघवालों और मेघवारों के साथ राजनीतिक संपर्क बढ़ाएँ. पंजाब में अन्य दलित समुदायों की ओर भी कदम बढ़ाएँ. सत्ता में भागीदारी की ओर जाता मुख्यमार्ग वहीं से शुरू होगा.





Wednesday, January 4, 2012

Meeting point of Meghvanshis (Meghwal, Meghwar and Megh) - मेघवंशियों का एकता बिंदु

देश भर के मेघवंशी इस एक बिंदु पर एकत्रित हो सकते हैं. उनका मूल एक है- मेघ ऋषि.



Megh Politics

Tuesday, January 3, 2012