Thursday, January 5, 2012

Congress ignores Megh Bhagat community


पंजाब में चुनाव आ गए हैं. पार्टियों ने अपने चुनावी उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. कांग्रेस ने पुनः मेघ भगत समुदाय की उपेक्षा की है.

समय-समय पर जब भी चुनावी क्षेत्रों का पुनर्गठन किया जाता है तब यह विशेष ध्यान रखा जाता है कि अनुसूचित जातियों और जनजातियों के वोटों को और बाँट दिया जाए. जनगणना के समय भी सबसे अधिक उपेक्षित क्षेत्र इन्हीं जातियों के होते हैं जहाँ से कभी भी सही जनगणना के आँकड़े सामने नहीं आते. मेघ भगत बिरादरी भी इसी का शिकार होती आई है. एक तो इनमें बँटे रहने की प्रवृत्ति है दूसरे शिक्षा और जागरूकता के मामले में बहुत पिछड़ापन है. यही कारण है कि राजनीतिक पार्टियाँ जानती हैं कि इस समुदाय के जागने में अभी लंबा समय है.

चुनाव से पहले सरकारी नौकरियों में आरक्षण की घोषणाएँ कर दी गई हैं ताकि ऐसी दलित जातियों का ध्यान छोटी-मोटी बातों की ओर खिंचा रहे और ये सत्ता में भागीदारी की बात न सोच पाएँ. याद रहे कि पहले भी ऐसी घोषणाएँ हुईं और कुल पदों का केवल 30 प्रतिशत ही भरा गया. बैकलॉग चलाए रखने वालों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है. मेघों के लिए आवश्यक है कि वे अन्य समुदायों जैसे मेघवालों और मेघवारों के साथ राजनीतिक संपर्क बढ़ाएँ. पंजाब में अन्य दलित समुदायों की ओर भी कदम बढ़ाएँ. सत्ता में भागीदारी की ओर जाता मुख्यमार्ग वहीं से शुरू होगा.





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