दिलीप मंडल का फैन हूँ. इनके छोटे-छोटे
प्रश्न दिमाग़ में हलचल पैदा करते हैं. अभी हाल ही में फेसबुक पर उन्होंने लिखा है :-
“वह प्रश्न, जो इतिहास की परीक्षा में मिस प्रिंट होकर
छप गया - "अगर दलितों और आदिवासियों को हिंदू न बनाया/बताया गया होता तो
अविभाजित भारत के ज्यादातर हिस्सों में मुसलमान सबसे ज्यादा आबादी वाला समूह होते.
तमाम तरह के उद्धार आंदोलनों की जड़ यहीं है. 1931 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर इस तथ्य
(या झूठ) की पुष्टि या खंडन कीजिए. (20 नंबर)”
तत्क्षण मुझे अछूतोद्धार के तहत 1902 में
मेघों के शुद्धिकरण का प्रकरण याद हो आया जिससे स्यालकोट के पास बसाए गए आर्यनगर
के आसपास के इलाकों में मुसलमानों की संख्या 51% से घट कर 49% रह गई थी. अन्य स्थानों पर भी
ऐसा हुआ. हिंदुओं की संख्या को बढ़ाने की यह प्रक्रिया काफी देर से चल रही थी.
दलितों को इस चाल की भनक नहीं थी और मुसलमान भी लगभग सोए हुए थे. ब्राह्मणवाद अपनी
चाल चल गया और आज हिंदू के तौर पर सब का लीडर बना बैठा है. वह दलितों (अनसूचित
जातियों, जनजातियों और ओबीसी) की संख्या के आधार पर मूलनिवासियों के इस देश को
हिंदू राष्ट्र घोषित करने की तैयारी में लगा है. इससे मनुस्मृति, आदि सहित ऐसे
हिंदू-साहित्य को फिर से प्रचारित करने की कोशिश की जाएगी जो देश के मूलनिवासियों
को जातियों के आधार पर बाँटने का कार्य करता है.
इसलिए मूलनिवासियों को सचेत रहना होगा.
जागो.
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