कल 03-08-2012 को आर्य समाज मंदिर, सैक्टर-16, चंडीगढ़ में श्रीमती तारा देवी की रस्म क्रिया के बाद भगत प्रेम चंद
जी ने एक स्मारिका (Souvenir/सुवेनेयर - 2012-13) मुझे दी.
‘आल इंडिया सत्गुरु
कबीर सभा (1958), मेन बाज़ार, भार्गव नगर, जालंधर’ का नाम सुना था लेकिन मेरी जानकारी में नहीं था कि सभा (AISKS) ने इस वर्ष
ऐसी स्मारिका का प्रकाशन किया है. इस स्मारिका को देख कर सुखद आश्चर्य हुआ.
सुखद आश्चर्य इस लिए कि ये स्मारिकाएँ संस्था द्वारा संपन्न कार्यों का
प्रकाशित दस्तावेज़ होता है. इसमें कार्यों की भूमिका,
उनके महत्व, संबंधित विषयों पर आलेख, कार्यकर्ताओं और संगठन की गतिविधियों के बारे में जानकारी आदि होते
हैं जो धीरे-धीरे एक इतिहास का निर्माण करते हैं. इस स्मारिका में यह सब कुछ दिखा.
यह स्मारिका सत्गुरु कबीर के 614वें प्रकाशोत्सव (04-06-2012) के अवसर पर जारी की गई थी. इसका
संपादन श्री विनोद बॉबी (Vinod Bobby) ने किया है और उप संपादक श्री गुलशन आज़ाद (Gulshan Azad) हैं.
इस स्मारिका में काफी जानकारियाँ हैं. लेकिन जो मुझे अपने नज़रिए से
महत्वपूर्ण लगीं उनका उल्लेख यहाँ
कर रहा
हूँ. इसका संपादकीय जालंधर में कबीर मंदिरों (Kabir Temples) के विकास की
संक्षिप्त कथा कहता
है और इसमें शामिल आलेख कबीर से संबंधित
जानकारी देते है. राजिन्द्र भगत द्वारा श्री अमरनाथ (आरे वाले) पर लिखा
आलेख सिद्ध
करता है कि अपने समाज के अग्रणियों पर अच्छा लिख कर हम आने वाली संतानों के
लिए
आदर्श जीवनियों का साहित्य निर्माण कर सकते हैं. यह अच्छी भाषा में लिखा
आलेख है. 'अंतर्राष्ट्रीय संस्कृति पीठ - कबीर भवन' पर लिखा आलेख प्रभावित
करता है.
स्मारिका में प्रकाशित विज्ञापन बताते हैं कि मेघ भगतों ने
इसके प्रकाशन में खूब सहयोग दिया है. बहुत-बहुत बधाई, क्योंकि यह करने
योग्य कार्य है.
इस
सभा के संस्थापकों में आर्यसमाज के अनुयायी
मेघ भी कबीर सभा की इस स्मारिका में दिखे जो मेघ समाज में हो रहे परिवर्तन
का द्योतक है. आर्यसमाजी
विचारधारा के कारण मेघ भगत समाज ने कबीर और डॉ. भीमराव अंबेडकर को बहुत देर
से अपनाया. यह देख कर अच्छा लगा कि इस स्मारिका में विवादास्पद लेखक श्री
एल. आर.
बाली (L.R. Bali) ('भीम पत्रिका' के संपादक) का आलेख भी छापा गया है
जिन्होंने अपना पूरा जीवन अंबेडकर मिशन को समर्पित कर
दिया है. मुझे आशा है कि मेघ भगत देर-सबेर डॉ. अंबेडकर, जो स्वयं कबीरपंथी थे, को जाने-समझेंगे.
स्मारिका में सभा के कार्यकर्ताओं का टीम
अन्ना के साथ दिखना राजनीतिक संकेत करता है और यह अच्छा है.
Souvenir (p. 1-32)
Souvenir (p. 33-64)
मेघ भगत
आशा है कि मेघ भगतों के अन्य संगठन भी ऐसी
स्मारिकाएँ छापने के बारे में विचार करेंगे.
स्मारिका की पूरी पीडीएफ फाइल आप नीचे दिए इस लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं
Souvenir (p. 1-32)
Souvenir (p. 33-64)
मेघ भगत
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