मैं अरविंद केजरीवाल या ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ का फैन कभी नहीं रहा. तथापि कभी किसी आंदोलन के दौरान कुछ बातें बहुत बढ़िया कही जाती हैं जिनमें आज का सत्य रहता है.
26-08-2012 को दिल्ली में अपने आंदोलन के दौरान अरविंद ने कहा है कि
संसद में कोई विपक्ष नहीं है. करप्शन में कांग्रेस और भाजपा दोनों की भूमिका एक सी
है. यह कह कर अरविंद ने बड़ी सच्चाई पर बड़ा हाथ रखा है. लेकिन दोनों पार्टियों में भरे
उस समूह पर सीधे उँगली नहीं रखी जिसे भ्रष्ट नीतियों का जनक कहा जाता है. ऐसा नहीं है कि अरविंद को पता नहीं था. बस वे उसका नाम न लेने की
राजनीति कर गए.
नए-नए
अटल बिहारी ने सत्ता में आने के बाद कहा था कि ‘कोई भी पार्टी हो सत्ता का चेहरा एक
जैसा होता है’.
केजरीवाल की उक्ति भी वैसी ही है. केवल समय बदल गया है और कोयला घोटाले में गोरा संदर्भ मिल गया है.
पता नहीं हम कब स्वीकार करेंगे कि हमारी नीतियाँ अंग्रेज़ों की हैं और हमारे सिस्टम का कार्य ही भ्रष्टाचार है. कोई कहता है कि सत्ता काले अंग्रेज़ों के हाथ में चली गई है. यह हम भारतीयों के काले-भूरे रंग का अपमान है. सच तो यह है कि सत्ता अंग्रेज़ों के हाथ से कभी गई ही नहीं. भ्रष्टाचार संबंधी सारे कानून पढ़ कर देख लें वे सभी गोरे हैं.
पता नहीं हम कब स्वीकार करेंगे कि हमारी नीतियाँ अंग्रेज़ों की हैं और हमारे सिस्टम का कार्य ही भ्रष्टाचार है. कोई कहता है कि सत्ता काले अंग्रेज़ों के हाथ में चली गई है. यह हम भारतीयों के काले-भूरे रंग का अपमान है. सच तो यह है कि सत्ता अंग्रेज़ों के हाथ से कभी गई ही नहीं. भ्रष्टाचार संबंधी सारे कानून पढ़ कर देख लें वे सभी गोरे हैं.
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