मेघ भगतों में संभवतः कुछ
सदस्य होंगे जिन्होंने जन-संपर्क का कार्य किया हो और उन्हें प्रैस कांफ्रैंसिस
कराने का अनुभव भी हो. राजनीतिक गतिविधियाँ बढ़ने के साथ ही इस समुदाय को प्रैस या
पत्रकार सम्मेलन कराने की आवश्यकता पड़ेगी. भविष्य में तो जरूर ही होगी. भारत का
मीडिया दलितों के प्रति बहुत भेदभावपूर्ण रवैया रखता है. इसलिए अन्य स्थानीय और
माननीय लोगों को इसमें शामिल करके इस कठिनाई पर कुछ हद तक पार पाया जा सकता है. लेकिन
उनसे अधिक उम्मीद न रखें. अपना न्यूज़ लेटर शुरू करें.
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लेना लाभकारी होगा. इसके अतिरिक्त स्थानीय परिस्थितियों और आवश्यकताओं को भी देख
लें और तदनुसार विवेकपूर्वक निर्णय लें.
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