दुनिया में सब से
कठिन कार्यों में से एक है अख़बार चलाना. दलितों के पक्ष को सही तरीके से रखने
वाला अख़बार चलाना और भी कठिन इस मायने में है कि अख़बार को चलाने के लिए जितने
पैसे की ज़रूरत होती है उतना मिलता नहीं. सरकारी विज्ञापन और सीधा वित्त लगभग अनुपलब्ध
ही है.
इन परिस्थितियों में
जयपुर से श्री गोपाल डेनवाल ने एक छोटा समाचार पत्र ‘दर्द की आवाज़’ निकाला
था जिसका मार्च, 2012 का अंक मिला है. मैं इससे बहुत प्रभावित हुआ हूँ. इसमें
मेघवंशियों की बात है, उनकी अपेक्षाएँ, पीड़ा और महत्वाकांक्षाएँ और उनकी
प्रार्थनाएँ हैं. इस समाचार पत्र के प्रधान संपादक श्री डेनवाल के आलेखों का स्वर
आह्वान का है जो दलितों के विकास में आती बाधाओं को चुनौती देता चलता है. सबसे बढ़
कर इसमें मेघवंश की एकता के प्रति प्रतिबद्धता है.
यह देख कर खुशी होती
है कि इस समाचार पत्र की सर्कुलेशन बढ़ रही है.
संपर्क :
श्री गोपाल डेनवाल
ए-2, ए, नितेश विला
विवेकानंद कॉलोनी
नयाखेड़ा, अंबाबाड़ी,
जयपुर.
हम अपने समुदाय के
समाचार पत्रों को पढ़ने के अभ्यस्त हो रहे हैं. यदि आप इन्हें पढ़ते हैं तो इसे उन
मेघवंशी भाइयों के साथ शेयर करें जो इच्छुक हैं या अंशदान दे पाने की हालत में
नहीं हैं. शुभ को शीघ्र करें. शुभकामनाएँ.
Megh Politics
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