Friday, March 30, 2012

Shadow of team Anna - टीम अन्ना का साया


टीम अन्ना का सार-संक्षेप यह है कि इसकी खुराफात की जड़ में अरविंद केजरीवाल है जिसकी महत्वाकांक्षाएँ शुरू से ही बहुत बड़ी रही हैं. इसे अपनी छोटी-मोटी कार्रवाइयों से मनोवाँछित लाभ नहीं हो पा रहा था सो इसने अन्ना का दरवाज़ा खटखटाया और अन्ना इसके प्रस्तावित आंदोलन को नेतृत्व देने का वादा कर बैठे जिसे वे अब ग़लती की तरह निभा रहे हैं.

केजरीवाल और टीम की कार्यशैली संसद और संविधान दोनों को गंभीर चुनौती देती है जो अपने आपमें ऐसी कार्रवाई है जिसका संज्ञान अभी तक संसद ने गंभीरता से नहीं लिया है. इसे लोकतंत्र की उदात्त मनस्विता ही माना जाएगा. 

लेकिन यह घटनाक्रम अंततः कांग्रेस की ही ग़लती है. इसने इस समूह को लोकपाल बिल का मसौदा बनाने के लिए निमंत्रित किया ही क्यों? क्या संसद में योग्य व्यक्तियों की कमी थी?

भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से पहले केजरीवाल की घुसपैठ संभवतः कांग्रेस और बीजेपी दोनों में थी क्योंकि उस समय इनके 100-50 लोगों के एक समूह की हर बेजा ज़िद मानी जा रही थी या सिस्टम इनकी बात मानने पर आमादा था. मैं यूथ फॉर इक्वैलिटी संगठन की बात कर रहा हूँ जो सरकारी नौकरियों में आरक्षण का हर प्रकार से विरोध करता रहा है. 

अब अन्ना और केजरीवाल की छवि से युक्त यह दोमुँहा फन पिछड़ों का दिखता भी है और पिछड़ों के विरुद्ध मज़बूत भी हो रहा है. कमाल यह है कि संसद इनके विरुद्ध प्रस्ताव पारित कर रही है. क्या बात है सर जी! बहुत ख़ूब!! अन्ना अब क्या उगलें और क्या निगलें!!!

Wake up Anna Hazare - अन्ना, तुम्हें चेतना होगा


यह लिंक भी देखें जो एक पत्रकार का है-

गाँधी की बात - गोडसे का काम

Megh Politics 

No comments:

Post a Comment