क्या कोई व्यक्ति अपनी आय के साधन को
थाली में रख कर किसी अन्य के हाथ में सौंप देता है?
हाँ, भारत के जुलाहों में
यह बात है. उन्होंने उन सरकारी नीतियों के विरुद्ध संगठित आंदोलन नहीं चलाया जिनकी
मदद से देश भर के मेघवंशी जुलाहों, बुनकरों, अंसारियों का व्यवसाय तबाह
करके किन्हीं अन्य हाथों में सौंप दिया गया. एक करोड़ जुलाहे रोज़गार से बाहर हो
गए.
भाई ! ग़रीब से अकिंचन हो जाने से बेहतर है कि ग़रीब से बेहतर कुछ बना जाए.
भाई ! ग़रीब से अकिंचन हो जाने से बेहतर है कि ग़रीब से बेहतर कुछ बना जाए.
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