आर्य का अर्थ – साहित्यिक और शब्दकोशीय भ्रांतियाँ
कर्नल तिलक राज जी से कई बार फोन पर लंबी बातचीत
होती है. पिछले दिनों ऐसी ही एक बातचीत के दौरान उन्होंने पूछ, “भाई, यह बताओ कि आर्य शब्द
का अर्थ क्या होता है” ? कर्नल साहब बहुत विद्वान व्यक्ति
हैं. मैं तनिक होशियार हो कर बैठ गया. मैंने कहा, “आर्य का अर्थ है जो ‘बाहर से आकर आक्रमण करे’.” कर्नल साहब की आवाज़ की उमंग छिपी नहीं रह सकी.
वे तुरत बोले, “बिल्कुल सही. यह शब्द ‘अरि’ (शत्रु) से बना है.”
फिर उन्होंने धातु के अनुसार इस शब्द की व्युत्पत्ति बताई. उन्होंने
आर्यसमाज के संस्थापक दयानंद नामक ब्राह्मण द्वारा प्रचारित अर्थ का उल्लेख किया
और फिर कहा कि वह आर्य शब्द का अर्थ ‘श्रेष्ठ’ बताता है.
शब्दकोशों में जिस तरह से चमार शब्द के साथ घृणा
जोड़ी गई ठीक वैसे ही आर्य शब्द को महिमामंडित करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी गई. इस पर मैंने अपने नोट्स नीचे दिए लिंक पर रखे हैं. यहीं स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि इस आलेख में किसी बात के होते हुए भी यह तथ्य है कि किसी भी कारण से क्यों न हो, मेघ भगतों की शिक्षा का पहला प्रबंध आर्यसमाज ने ही किया था और मेघों को 'आर्य मेघ' और 'आर्य भगत' कहा.
अब दलितों के नाम के साथ 'आर्य' लगाने का फार्मूला अपनाया गया है. लक्ष्य है यह सिद्ध करना कि ब्राहमण आर्य और दलित आर्य एक ही सभ्यता (सिंधुघाटी) की पैदाइश हैं. पिछले लगभग सवा सौ वर्षों से ब्राहमण आर्यजन सारा ज़ोर इसी पर लगाते दिख रहे हैं जबकि ऐतिहासिक जानकारियाँ इससे मेल नहीं खातीं. वैसे भी ये समय-समय पर स्थिति देख कर साहित्य के साथ छेड़-छाड़ करते रहे हैं और बिना मतलब के ऐसा नहीं किया जाता. लेकिन अब समय बदल गया है. सत्य को स्वीकारना बेहतर है.
अब दलितों के नाम के साथ 'आर्य' लगाने का फार्मूला अपनाया गया है. लक्ष्य है यह सिद्ध करना कि ब्राहमण आर्य और दलित आर्य एक ही सभ्यता (सिंधुघाटी) की पैदाइश हैं. पिछले लगभग सवा सौ वर्षों से ब्राहमण आर्यजन सारा ज़ोर इसी पर लगाते दिख रहे हैं जबकि ऐतिहासिक जानकारियाँ इससे मेल नहीं खातीं. वैसे भी ये समय-समय पर स्थिति देख कर साहित्य के साथ छेड़-छाड़ करते रहे हैं और बिना मतलब के ऐसा नहीं किया जाता. लेकिन अब समय बदल गया है. सत्य को स्वीकारना बेहतर है.